सूक्ष्म का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Minutes)
सभा में की गई कार्यवाहियों को भविष्य में स्मरण हेतु संक्षेप में लिखकर रख लिया जाता है, जिन्हें सूक्ष्म कहते हैं। दूसरे शब्दों में, वह लेख है जो सभा में लिए गये निर्णयों का संक्षिप्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है ताकि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर पर्याप्त जानकारी प्राप्त की जा सके कि अमुक सभा में क्या-क्या निर्णय लिए गये थे तथा क्या-क्या कार्य किये गये थे।
श्री गोवेकर के अनुसार, सूक्ष्म सभा द्वारा किये गये व्यावसायिक कार्यों को इंगित करता है।
श्री पामर के अनुसार, सूक्ष्म, सभा में लिए गये व्यावसायिक कार्यों का लिखित अभिलेख है।
ली एवं बार के अनुसार, कम्पनी के संचालकों अथवा अंशधारियों की सभा की कार्यवाहियाँ किसी एक कामकाज तथा लिए गये निर्णयों के लिखित अभिलेख के रूप में सूक्ष्म को परिभाषित किया जा सकता है।
के. के. गुप्ता के अनुसार, कम्पनी की विभिन्न सभाओं की कार्यवाहियों, किये गये कार्यों लिए गये निर्णयों को भविष्य के स्मरण हेतु क्रमबद्ध रूप में लिखना ही सूक्ष्म है।
सूक्ष्म लिखने व तैयार करने का अधिकार सचिव का होता है, जिसे कुशलतापूर्वक सावधानी से एवं बुद्धिमतापूर्वक लिखना चाहिए। जिस पुस्तक में वह सूक्ष्म लिखता है उसे सूक्ष्म पुस्तक (Minutes. Book) कहते हैं। कानूनी रूप से प्रत्येक सभा के सूक्ष्म रखना अनिवार्य है। सूक्ष्म सभा होने के बाद . 30 दिन के अन्दर तैयार कर लेने चाहिए इसके प्रत्येक पृष्ठ पर क्रम संख्या और अध्यक्ष के हस्ताक्षर होने चाहिए।
सूक्ष्म सम्बन्धी कानूनी प्रावधान (Legal Provisions Regarding Minutes)
कम्पनी अधिनियम में सूक्ष्म तैयार करने के लिए अग्रलिखित प्रावधान हैं–
1 ) सूक्ष्म की अवधि-सभा होने के 30 दिन के भीतर सूक्ष्म पुस्तक में सभा की कार्यवाही क लिख देना चाहिए।
(2) सूक्ष्म की क्रम संख्या एवं हस्ताक्षर-अलग-अलग सभाओं की अलग-अलग सूक्ष्म पुस्लि होनी चाहिये तथा इन पुस्तकों के सभी पृष्ठों पर क्रमांक तथा हस्ताक्षर होने चाहिये।
(3) संचालकों का विवरण-संचालक मण्डल की सभाओं में उपस्थित संचालकों के नाम तथ असहमत संचालकों के नाम भी सूक्ष्म पुस्तक में लिखे जाने चाहिये।
(4) नियुक्ति का विवरण-यदि किसी अधिकारी की नियुक्ति की जाती है तो उसका भी विवरण इस पुस्तक में होना चाहिये।
(5) सभा की कार्यवाही-सभा की कार्यवाही का उचित एवं सही चित्र सूक्ष्म में प्रस्तुत करना चाहिये।
(6) सूक्ष्म रखने का स्थान-साधारण सभा के सूक्ष्म को कम्पनी के रजिस्टर्ड कार्यालय में रखा जाता है।
(7) सूक्ष्म का निरीक्षण किसी भी सदस्य को जो कि प्रतिबन्धों के अधीन है, को निःशुल्क निरीक्षण करने का अधिकार होगा यदि सूक्ष्म का निरीक्षण सदस्य द्वारा नहीं किया जाता है तो इस दोषी व्यक्ति को आर्थिक दण्ड से दण्डित किया जाता है।
(8) सूक्ष्म का निर्गमन-न्यायालय सूक्ष्म को निर्गमन करने का आदेश दे सकता है।
(9) सूक्ष्म की प्रतिलिपि प्राप्त करना कोई भी सदस्य सूक्ष्म की प्रतिलिपि 7 दिन के भीतर प्राप्त कर सकता है, इसके लिए उसे शुल्क भी जमा करना होता है।
सूक्ष्म का लिखना (Writing the Minutes )
सचिव को सूक्ष्म लिखते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिये |
(1) शीर्षक-सभा का शीर्षक उपयुक्त होना चाहिये। इस शीर्षक में प्रकृति, दिन, समय तथा न स्पष्ट रूप से लिखे होने चाहिये।
(2) क्रम संख्या-बये सूक्ष्म में सभा की क्रम संख्या तथा सूक्ष्म की क्रम संख्या भी होती चाहिये।
(3) व्यक्तियों के नाम-सूक्ष्म में उपस्थित सदस्यों के नाम भी लिखे जाने चाहिये।
(4) विवरण तथा उसकी तिथि-यदि सूक्ष्म में प्रपत्रों, अभिलेखों एवं परिवर्तनों का जिक्र है तो उसकी तारीख तथा क्रमांक आदि का भी ब्यौरा देना चाहिये।
(5) वाद-विवाद का विवरण-सूक्ष्म के वाद-विवाद का संक्षिप्त विवरण भी दिया जाना चाहिए तथा इसमें प्रस्तावक तथा अनुमोदनकर्ता के नाम होने चाहिए।
(6) सभापति से अनुमोदन-सूक्ष्म का एक ड्राफ्ट बनाकर सभापति से पास करा लेना चाहिये। इसके बाद ही पुस्तक में लिखा जाना चाहिये।
(7) सूक्ष्म का पुष्टिकरण-अध्यक्ष सदस्यों की सहमति से सूक्ष्म पर अनुमोदित अथवा पुष्टिकृत शब्द लिखकर अपने हस्ताक्षर दिनांक सहित कर देता है।