भावानुवाद- इसमें मूल भाषा या स्रोत भाषा की शब्द-योजना, वाक्य विन्यास आदि को दृष्टि में न रखकर शब्दों एवं वाक्यों में निहित मूल भाव पर विशेष ध्यान दिया जाता है और अनुवाद किया जाता है। इसे ‘छायानुवाद’ भी कहते हैं।
भावानुवाद की विशेषताएँ
(1) इसके अंतर्गत स्त्रोत भाषा के शब्दों के शब्दार्य की अपेक्षा भावों को प्रधानता दी जाती है।
(2) भावानुवाद के अंतर्गत अनुवादक की अपनी भाषा शैली का प्रयोग करने की गुंजाइश रहती (3) इसके अंतर्गत कई शब्दों के छिपे गूदार्थ को सामने लाया जाता है।
(4) इसके अंतर्गत स्त्रोत भाषा की शब्द-योजना तथा वाक्य विन्यास को विशेष महत्व न देते हुए वाक्यों में निहित मूल भाव पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है।
(5) इसे छायाबुवाद भी कहते हैं। शब्दानुवाद- इसमें मूल भाषा या स्त्रोत भाषा की शब्द योजना, वाक्य विन्यास आदि का दूसरी भाषा या लक्ष्य भाषा में लगभग ज्यों का त्यों अनुवाद किया जाता है। इसे ‘शाब्दिक अनुवाद’ कहते हैं।
शब्दानुवाद की विशेषताएँ
(1) शब्दानुवाद उच्च कोटि के अनुवाद की श्रेणी में नहीं आता।
(2) किसी भी विषय का व्यवस्थित तथा विशिष्ट ज्ञान विज्ञान होता है।